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पी टी उमरकोया : भारतीय शतरंज के एक युग का अवसान

by धर्मेंद्र कुमार - 18/01/2020

1985 से 2005 तक संयुक्त सचिव एवं सचिव की हैसियत से कुल दो दशकों तक भारतीय शतरंज को अपनी कल्पनाशीलता, रचनात्मकता और प्रयोगधर्मिता से विश्व पटल पर स्थापित करनेवाले शतरंज शिल्पी पी टी उमरकोया का बीते 14 जनवरी 2020 को देहावसान हो गया। इसी के साथ अवसान हो गया एक अध्याय का। एक ऐसे अध्याय का जिसने भारतीय शतरंज को विश्व शतरंज के मानचित्र पर स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। विश्व शतरंज संघ के उपाध्यक्ष  बनने वाले वह भारत से पहले व्यक्ति थे  और विश्व शतरंज संघ नें उनके निधन पर दुख प्रकट करते हुए श्रद्धांजलि व्यक्त की । पढे धर्मेंद्र कुमार का यह लेख । 

पी टी उमरकोया

देश मे शतरंज के प्रसार को सुनिश्चित किया। युवाओं और बच्चों के बीच इस खेल को लोकप्रिय बनाने में सक्रिय भूमिका निभाई। राष्ट्रीय स्तर की आयुवर्ग प्रतियोगिताओं की शुरुआत की। राज्य शतरंज संघो और आयोजकों को शतरंज प्रतियोगिताओं के आयोजन और मेजबानी के लिये प्रेरित,प्रोत्साहित किया। पारम्परिक शतरंज को यूरोपीय और अमेरिकन आधुनिक शतरंज के समकक्ष खड़ा किया। समय की रफ्तार के साथ भारतीय शतरंज को भी आधुनिक तकनीक से परिचित कराया। शतरंज की विश्वस्तरीय प्रतियोगिताएं आयोजित करवाई।

विश्व शतरंज संघ नें यह श्रद्धांजलि दी 

अनवरत ,अथक प्रयासों से , अपने सहयोगियों के साथ भारतीय शतरंज को एक महाशक्ति के रूप में प्रतिष्ठित करवाया। स्वर्णिम भारतीय शतरंज के लिये मार्ग प्रशस्त किया। सपने देखें और उसमें जान भी डाली। भारतीय शतरंज का ये शिल्पी आज हमारे बीच नही रहा लेकिन इनका योगदान, इनकी भूमिका,इनकी जोड़ी हुई हर एक ईंट भारतीय शतरंज में अजर अमर रहेगी और विश्व शतरंज में "कोया टाई ब्रेक" देनेवाला यह शख्शियत सदैव अविस्मरणीय बना रहेगा। एक दैदीप्यमान सितारे की तरह।

चेसबेस परिवार की शतरंज शिल्पी पी टी उमरकोया को सादर श्रद्धांजलि

धर्मेन्द्र कुमार, लेखक शतरंज के अंतरराष्ट्रीय आर्बीटर हैं।