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परिवार और बेटी को देती हूँ प्रदर्शन का श्रेय:हम्पी

by Niklesh Jain - 02/09/2020

जब लोग इस समय  घर से ऑनलाइन शतरंज खेलने को ज्यादा आरामदायक मान रहे है  विश्व रैपिड चैम्पियन भारत की कोनेरु हम्पी के लिए भारतीय टीम के मुक़ाबले ऑनलाइन खेलना आसान नहीं था कारण था उनकी तीन साल की बेटी को यह समझाना की मैच के दौरान ना तो वह उनको आवाज लगाए और ना ही उनके कमरे मे आए एक समय मे उन्हे अपनी बेटी के लिए माँ की जरूरत का भी ध्यान रखना था तो उसी समय देश के लिए मुक़ाबले भी खेलना था । कोनेरु हम्पी मानती है की उनके पति और बेटी के सहयोग से वह इस तरह का प्रदर्शन कर पायी है । वह यह भी मानती है की घर पर बैठकर खुद को टूर्नामेंट के माहौल पर ढालना भी एक मुश्किल काम था । आइये पढे पंजाब केसरी को दिया उनका यह इंटरव्यू 

भारत की वर्तमान विश्व महिला रैपिड शतरंज चैम्पियन ग्रांड मास्टर कोनेरु हम्पी नें भारतीय टीम की ओलंपियाड जीत मे प्रमुख भूमिका निभाई है और खासतौर पर सेमी फाइनल मुक़ाबले मे पोलैंड के खिलाफ टाईब्रेक मे उनकी जीत खास थी जिससे भारत फाइनल पहुंचा था . हम्पी नें माँ बनने के बाद दो साल तक शतरंज से ब्रेक लिया था और उसके बाद वापसी करके विश्व रैपिड खिताब से लेकर फीडे ग्रां प्री जैसे टूर्नामेंट अपने नाम किए थे । पंजाब केसरी से खास बातचीत की

फाइनल मुक़ाबले मे आपके मैच के दौरान, क्या आपको पता चल गया था की इंटरनेट की खराबी के चलते निहाल और दिव्या हार गए है ?

हम्पी - जब मैं अपना अंतिम मुक़ाबला खेल रही थी तब मैंने दिव्या की जीती हुई स्थिति और निहाल की बराबरी वाली स्थिति देखि थी और ऐसे मे मुझे भारत की जीत की उम्मीद लग रही थी पर अचानक जब मैंने कुछ समय बाद देखा तो मुझे झटका लगा की दोनों मुक़ाबले हार चुके थे और तब तक चूकी सिर्फ मेरा मैच चल रहा था तो मुझे लगा की हम हार चुके है ओर उसके बाद मेरे से लगातार गलतियाँ होने लग गयी और मुक़ाबला हार गयी और उसके बाद मुझे पता लगा की वे इंटरनेट की वजह से हारे है और हम फीडे को अपील करने जा रहे है ।

इतने तनाव के माहौल के बाद क्या आपको स्वर्ण पदक की आशा थी ?

हम्पी - मुझे फीडे से इस तरह के निर्णय की आशा नहीं थी और ना ही हमने यह निर्णय मांगा था ,हम इस तरह की स्थिति का समाना कभी नहीं करते है ,जब तक निर्णय नहीं आया था मुझे बस यह एक खराब दिन नजर आ रहा था जहां हमने अंत तक लड़ाई लड़ी और बिना हमारी गलती के हम मुक़ाबला हार गए है,मुझे लगा की शायद मुक़ाबले फिर से खेले जा सकते है पर विश्व शतरंज संघ के लिए भी यह निर्णय आसान नहीं था और मुझे लगा की हमें रजत पदक ही लेना होगा पर जैसे ही पता लगा की हमें स्वर्ण पदक दिया जा रहा है तो यह बेहद खुशी का पल था 

आप ऑनलाइन शतरंज मे माहिर नहीं मानी जाती है फिर कैसे ऑनलाइन शतरंज मे खुद को ढाला ?

हम्पी - दरअसल महिला स्पीड शतरंज के अंतिम दौर मे जाकर मुझे ऑनलाइन शतरंज मे जल्दी चाल चलने का अभ्यास हो पाया था वरना मे सिर्फ तेज खेलने की कोशिश करती थी पर समय के चलते हार रही थी पहले दौर मे तो पता ही नहीं चला ,दूसरे मे अभ्यास करना शुरू किया और तीसरे तक थोड़ा बेहतर कर पायी और तभी फाइनल तक पहुँच पायी थी और यह सब मेरे लिए एकदम नया था

जूनियर खिलाड़ियों को टीम मे शामिल करने का निर्णय कैसा था ?

हम्पी - मुझे बहुत अच्छा लगा की फीडे नें टीम मे जूनियर खिलाड़ियों को शामिल किया और इससे उन्हे बहुत ज्यादा अनुभव हासिल हुआ और बड़े खिलाड़ियों से बात करने का मौका मिला और इस फॉर्मेट नें हमें दुनिया की सबसे बेहतरीन टीम मे से एक बना दिया ।

अपनी सफलता का श्रेय किसको देंगी ?

मैं अपनी इस सफलता को अपने परिवार को समर्पित करना चाहूंगी मेरे पति को जो हमेशा सहयोग करते है ,मेरे माता पिता और खासतौर पर मेरी 3 साल की बेटी को ,मेरे लिए ऑनलाइन खेलना थोड़ा मुश्किल होता है क्यूंकी आपको घर से खेलना होता है और ऐसे मे प्रतियोगिता के अंदाज मे ढालना थोड़ा मुश्किल होता है,मुझे अपनी बेटी को समझाना होता था की जब खेलूँ तो मेरे कमरे मे नहीं आना है ,आवाज नहीं करनी है और उसने इन बातों को माना और मुझे लगता है की मैं भाग्य शाली हूँ । उसे कुछ बातों का अंदाजा है की मैं जीत गयी हूँ और भारत जीत गया है और वह हमेशा पूछती है की क्या आपने मैच जीता तो अब वह समझ रही है धीरे धीरे ।

टाईब्रेक मे जब आप जीती तो भारत मे प्रसंशक जश्न माना रहे थे यह कैसा अनुभव था ? यह भारतीय शतरंज के लिए एक शानदार लम्हा है, इससे पहले इतने ज्यादा लोगो नें कभी खेल नहीं देखा था मुझे लगता है इन मुकाबलों को महत्व मिलना चाहिए ,मैं सोशल मीडिया की दुनिया मे उतनी सक्रिय नहीं हूँ पर जितना देख रही हूँ इससे पहले हमने कभी इतना समर्थन नहीं देखा ।

देखे कैसा था हम्पी के टाईब्रेक जीतने का नजारा 



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